परिवार का महत्व



परिवार हर किसी मनुष्य के जीवन में बहुत महत्व रखता है। परिवार सभी लोगों को जोड़े रखता है और दुःख-सुख में सभी एक दुसरे का साथ देते हैं। परिवार के बिना जैसे ये जीवन अधूरा सा होता है हमें अपने परिवार के मूल्यों को समझना बहुत आवश्यक होता है।


परिवार एक ऐसी सामाजिक संस्था है जो आपसी सहयोग व समन्वय से क्रियान्वित होती है और जिसके समस्त सदस्य आपस में मिलकर अपना जीवन प्रेम, स्नेह एवं भाईचारा पूर्वक निर्वाह करते हैं। संस्कार, मर्यादा, सम्मान, समर्पण, आदर, अनुशासन आदि किसी भी सुखी-संपन्न एवं खुशहाल परिवार के गुण होते हैं।कोई भी व्यक्ति परिवार में ही जन्म लेता है, उसी से उसकी पहचान होती है और परिवार से ही अच्छे-बुरे लक्षण सिखता है। परिवार सभी लोगों को जोड़े रखता है और दुःख-सुख में सभी एक-दूसरे का साथ देते हैं।
     कहते हैं कि; परिवार से बड़ा कोई धन नहीं होता हैं, पिता से बड़ा कोई सलाहकार नहीं होता हैं, मां के आंचल से बड़ी कोई दुनिया नहीं, भाई से अच्छा कोई भागीदार नहीं, बहन से बड़ा कोई शुभ चिंतक नहीं इसलिए परिवार के बिना जीवन की कल्पना करना कठिन है। एक अच्छा परिवार बच्चे के चरित्र निर्माण से लेकर व्यक्ति की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
     एकबार की बात है एक दिन शाम को मैं और मेरे प्रिय भाई रोहित घर से टहलते हुए गाँव के बाहर जा रहे थे तभी मैंने रास्ते में पेड़ो पर बैबलर चिड़ियों का झुण्ड बहुत चहचहा रहे थे तब मन में आया लगता है इनमें से कोई साथी बिछड़ गया हैं, मैने फिर सोचा नहीं शाम का समय हैं इसी वज़ह से बोल रहीं होंगी और हम आगे बढ़ गयें।वहीं गाँव के बाहर कुछ आदिवासी रहते हैं।

      मैंने देखा एक छोटी-सी प्यारी सी बैबलर बैठी थी उसके पैर में रस्सी बान्धे उसे एक आदिवासी बच्चे ने अपने हाथ में पकड़ रखा था।मैंने पुछा कहाँ से पकड़े हो तो उस लड़के ने बताया कि सामने वाला पेड़ पर बहुत सारी बैबलर बैठी थी तो मैने अपने गुलेल से मारा तो इसको जाकर लग गया तो हमने उसे डांटकर कहा अब ऐसे मत करना और उस बच्चे के पिता से भी शिकायत की तो उसके पिता ने भी डांट लगायी और बैबलर को हम ले लिए वो प्यार सी बैबलर एकदम सहमी हुई थी।
     उस चिड़ियाँ के पाँव में बन्धे रस्सी खोलकर जब हम उड़ानें की कोशिश किए तो वह उड़ने में असमर्थ थी फिर उसको पानी दिखलाया तो पानी भी नहीं पीया फिर कुछ देर उसको जमीन पर रख दिये वो उड़ने की कोशिश कर रही थी लेकिन फुदक भी नहीं पा रही थी बस चौ चौ…की आवाज निकल रही थी।उसकी आवाज सुनकर बहुत सारी बैबलर का झुण्ड आ गया लेकिन हमे देखकर कोई नीचे नहीं आ रही थी।

     तभी मैने सामने एक शौचालय था उसी के छत पर रख दिया और सभी को दूर खड़ा होने के लिए कह दिया वहाँ फिर उसके साथी समीप आकर बैठ गये और चहचहाने लगें मानों उससे घटना के बारें में पुछ रहे हों फिर उसके बाद फुदकने लगें तो वो भी चिड़ियाँ फुदकने की कोशिश की उसे तो चोट आई वह फुदक नहीं पाई लेकिन अब उसके साथ उसका परिवार था तो हौसला था।
    कुछ समय बाद वह फुदकने लगी फिर उसके साथियों ने उसे उड़ कर दिखाने लगें तब फिर एकबार उड़ी लेकिन गिर गयी फिर मैने उसे उसी स्थान पर उठाकर रख दिया, फ़िर कुछ देर के बाद वो भी अपने परिवार के साथ ख़ुशी से चहचहाती हुई उड़ने लगी।मुझे इस घटना से परिवार के महत्व के बारें में पता चला।
    परिवार एक ऐसी सामाजिक संस्था है जो आपसी सहयोग व समन्वय से क्रियान्वित होती है और जिसके समस्त सदस्य आपस में मिलकर अपना जीवन प्रेम, स्नेह एवं भाईचारा पूर्वक निर्वाह करते हैं। संस्कार, मर्यादा, सम्मान, समर्पण, आदर, अनुशासन आदि किसी भी सुखी-संपन्न एवं खुशहाल परिवार के गुण होते हैं। कोई भी व्यक्ति परिवार में ही जन्म लेता है, उसी से उसकी पहचान होती है और परिवार से ही अच्छे-बुरे लक्षण सिखता है। 

     परिवार सभी लोगों को जोड़े रखता है और दुःख-सुख में सभी एक-दूसरे का साथ देते हैं। कहते हैं कि परिवार से बड़ा कोई धन नहीं होता हैं, पिता से बड़ा कोई सलाहकार नहीं होता हैं, मां के आंचल से बड़ी कोई दुनिया नहीं, भाई से अच्छा कोई भागीदार नहीं, बहन से बड़ा कोई शुभ चिंतक नहीं इसलिए परिवार के बिना जीवन की कल्पना करना कठिन है। एक अच्छा परिवार बच्चे के चरित्र निर्माण से लेकर व्यक्ति की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 

一 बालानाथ राय

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