नैना टीवी जगत के वरिष्ठ पत्रकार संजीव पालीवाल का पहला उपन्यास है जो कि एक क्राइम थ्रिलर है,न्यूज़ रूम की चमक दमक के पीछे की वास्तविकता कैसी होती है उससे रूबरू कराती नैना को संजीव पालीवाल ने बेहद ही उम्दा तरीका से सरल भाषा में लिखा है। यह उपन्यास आपको शुरू से अन्त तक अपने से बाँधे रखती है। अगर किसी बिन्दु पर आकर आप रुकना भी चाहतें हैं तो आप रुक नहीं सकते आप की उत्सुकता बढ़ती हीी जाती हैै और अगला भाग पढ़ने के लिए आप मज़बूर हो जातें हैं।
संजीव पालीवाल द्वारा लिखित नैना एक काल्पनिक उपन्यास हैं जिसमें नैना वशिष्ठ एक मशहूर न्यूज़ एंकर हैं जो कि देश के सबसे बड़े न्यूज़ चैनल नेशनल न्यूज़ में काम करती है बहुत कम ही समय में मीडिया इंडस्ट्री में बुलंदियों को छूने वाली नैना के पास रुतबा पैसा सबकुछ है सोशल मीडिया पर उसके काफ़ी ज़्यादा फ़ैन्स हैं। उसे प्रधानमंत्री तक फालो करते हैं। लेकिन एक रोज़ उसकी हत्या कर दी जाती हैं। इंस्पेक्टर समीर जो इस क़त्ल कि जाँच कर रहे होते है जब वह केश की तफ्तीश करते है तो संदेह जाता है नैना के पति सहित तीन लोगों पर नैना शादीशुदा होने के बावजूद नैना अपने साथ काम करने वाले दो लोगों के बेहद करीब थी।
नैना गौरव को प्यार करती थी और वो समझती थी कि गौरव भी उससे प्यार करता है दोंनो जल्द शादी भी कर लेंगे और वहीं दूसरी ओर नवीन एक दूसरा कलीग नैना को बहुत पसंद करता था , अगली परत में एक और पहलू सामने आता है कि क़त्ल के एक दिन पहले नैना को पता चलता है कि गौरव उसको धोखा दे रहा है। फ़िर नैना ने उसके करियर ख़त्म करने कि बात भी गौरव से कही थी वही दूसरी तरफ़ अंदर ही अंदर नवीन गौरव कि बात जानकर नैना से ख़ुद को ठगा महसूस करता है , और वहीं नैना क़त्ल से एक दिन पहले अपने पति सर्वेश से झगड़ चुकी होती है और सर्वेश को घर छोड़कर चले जाने के लिए बोलती है । ये सब घटना नैना की हत्या से एक दिन पहले होता है। जब धीरे-धीरे हकीक़त से पर्दा उठने लगता है तो आशंका और बढ़ने लगती है धीरे-धीरे कई नाम सामने आने लगता है जिसमें एक राजनेता का भी नाम सामिल है जिससे नैना सम्बन्ध रखती है और नैना के भी अंतरंग सम्बन्धों से धीरे-धीरे पर्दा उठने लगता है।
इस उपन्यास की ख़ास बात यह है कि संजीव पालीवाल ने इसे बोलचाल की भाषा में लिखा है इसको पढ़ते समय ऐसा नहीं लगता है कि आप कोई किताब पढ़ रहे है बल्कि ऐसा लगता है कि कोई वेब सीरिज़ आपके आँखों के सामने चल रहा हो और बस आप टकटकी लगाये इस इंतज़ार में देखे जा रहे हो कि कब सस्पेंस से पर्दा उठता है। संजीव पालीवाल ने इस उपन्यास के माध्यम से न्यूज़ मीडिया इंडस्ट्री की कड़वी हकीक़त को सामने लाने की कोशिश की है जो पर्दे के पीछे चलती है।
लेखक संजीव पालीवाल ने इस दिलचस्प जासूसी कहानी को बेहद ही उम्दा तरीके से रचा है जिससे कि कहानी के अन्त तक सस्पेंस बना रहता है और पाठक अंदाज़ा ही लगाता रहता है कि आख़िर किसने किया एंकर का क़त्ल और उसकी उत्सुकता बढ़ती ही जाती है। इस किताब के हर किरदार को लेखक ने बेहद ही खूबसूरती से उकेरा है और आप उनसे आसानी से जुड़ते चले जाते हैं। नैना जैसी महिलाएं भारत के शहरों के अति प्रतिस्पर्धात्मक ऑफिसों में मौजूद हैं और गौरव जैसे अधिपुरुष ढूंढऩा भी मुश्किल नहीं है जो सोचते हैं कि अपनी महिला सह-कर्मियों के साथ शारीरिक संबंध बनाने में कोई हर्ज़ नहीं है। जिन पाठकों ने अभी तक कोई क्राइम थ्रिलर नहीं पढ़ा है, तो यह उपन्यास उनके लिए एक अच्छा तोहफा है।
一 बालानाथ राय
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