संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेश ने चेतावनी दी थी कि ग्लेशियरों के तेज़ी से पिघलने के कारण गंगा, सिन्धु और ब्रह्मपुत्र जैसी नदियों का बहाव तेज़ी से घटेगा। पूरा हिमालयी क्षेत्र करीब 10 हज़ार छोटे-बड़े ग्लेशियरों का घर है और यहां से निकलने वाली बड़ी नदियां भारत की ही करीब 40% आबादी की पेयजल और कृषि की ज़रूरतों को पूर्ति करती हैं। हिमालय हिन्दुकुश और कारोकोरम क्षेत्र से निकलने वाली नदियां दुनिया की 140 करोड़ आबादी का पोषण करती हैं। कई वैज्ञानिक शोध बता चुके हैं कि हिमालयी ग्लेशियरों के पिछले की रफ्तार इस सदी में दोगुनी हो चुकी है। गुट्रिस का कहना है कि आज धरती के 10% हिस्से में ग्लेशियर हैं और वे धरती के वॉटर टावर हैं। ग्लेशियरों की पिघलती बर्फ खतरे की घंटी है। न केवल हिमालयी ग्लेशियर तेज़ी से पिघल रहे हैं बल्कि अंटार्कटिका में हर साल 150 बिलियन टन बर्फ पिघल रही है और ग्रीनलैंड में तो 270 बिलियन टन बर्फ प्रति वर्ष पिघल रही है।यूके की लीड्स यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने पाया है कि आमुण्डसेन सागर में तेज़ी से पिघल रही बर्फ पश्चिमी अंटार्कटिका की शक्ल परिवर्तन हो रही है और समुद्र सतह में यह चिन्ताजनक वृद्धि हो रहा है। ग्लेशियर विज्ञानियों के एक अध्ययन के मुताबिक पिछले 25 साल में लगभग 3.3 लाख करोड़ टन से अधिक बर्फ पिघल चूकी है। शोध के अनुसार वर्ष 1996 से वर्ष 2021 के बीच यहां कुल 3.3 लाख करोड़ टन बर्फ पिघल चूकी है जिसके कारण समुद्री सतह में 9 मिलीमीटर की बढ़ोतरी हुई हैं। अमुण्डसेन सागर आकार में अमेरिका के टैक्सस राज्य के बराबर है और अंटार्कटिक महासागर का हिस्सा भी है। 20 बड़े ग्लेशियर से मिलकर दक्षिण अंटार्कटिका में अमुण्डसेन सागर बनाते हैं और इनके पिघलने का समुद्र सतह पर भारी प्रभाव हो रहा है। इन सभी ग्लेशियरों को जोड़ दें तो यह यूके से चार गुना बड़े क्षेत्रफल में फैले हैं। पाकिस्तान सीमा से लगे पंजाब के फ़ाज़िलका ज़िले के बुकेनवाला गांव में टोरनेडो से करीब 30 घर काफ़ी क्षतिग्रस्त हो गए और कम से कम 12 लोग घायल भी हुए थे। इससे यहां खेतों में किन्नो की फसल बर्बाद हो गई। टोरनेडो यानी बवंडर बहुत तेज़ हवा का घूमता हुआ वो स्तंभ होता है जो कि रास्ते में आने वाली हर चीज़ को बड़ा क्षति पहुंचाता है। जब गर्म नम तेज हवा और सूखी हुई ठंडी हवा के संपर्क में आता है तो टोरनेडो बनते हैं। पंजाब में पिछले 15 वर्षों में यह चौथा टोरनेडो बना था। एक रिसर्च के मुताबिक उत्तर पश्चिम में भारत और पाकिस्तान के सरहदी इलाके में वर्ष 1903 से वर्ष 2011 के बीच कुल 15 टोरनेडो बने हैं। साल 1978 में दिल्ली में शक्तिशाली टोरनेडो के कारण 28 लोग अपनी जान गवा दिए और उस समय लगभग 700 लोग घायल भी हुए थे। जलवायु परिवर्तन के कारण आने वाले दिनों में टोरनेडो का प्रभाव बढ़ सकते हैं। संयुक्त राष्ट्र की वर्ल्ड वॉटर डेवलपमेंट रिपोर्ट 2023 के अनुसार पुरे दुनिया में पानी का संकट झेल रहे 80 प्रतिशत लोग एशिया में रहते हैं। रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2016 में करीब 93 करोड़ लोगों को पानी की अत्यधिक कमी झेलनी पड़ रही थेी और वर्ष 2050 तक ऐसे लोगों की संख्या में बढोतरी होकर 170 करोड़ से 240 करोड़ तक हो सकता है और भारत पर इसकी सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ने वाला है। पिछले 40 सालों में दुनिया में पानी की खपत हर साल 1% बढ़ी है और साल 2050 तक यह ग्राफ इसी रफ्तार से उपर उठता चला जा रहा हैं। बढ़ती आबादी, उपभोग का पैटर्न और ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण जलसंकट लगातार वृद्धि हो रहा है।
- बाला नाथ राय
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